PCOD Kya Hai? (पीसीओडी) : जानिए लक्षण, कारण, और उपचार
Written by
Arva Health Team
01-Aug-2024
PCOD Kya Hai? (पीसीओडी)
पीसीओडी (PCOD) यानी पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर एक आम समस्या है जो 15 से 44 साल की उम्र की करीब 1 में से 5 महिलाओं को होती है। ये एक हार्मोनल बीमारी है जिसमें अंडाशय सामान्य से ज्यादा मात्रा में मर्दाना हार्मोन बनाने लगते हैं। इससे अंडाशय में छोटी-छोटी गांठें या सिस्ट बन जाती हैं। ये सिस्ट मासिक धर्म और गर्भधारण की क्षमता को प्रभावित करती हैं।
पीसीओडी का असर सिर्फ प्रजनन तंत्र तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ये पूरे शरीर को प्रभावित करता है। आइए जानते हैं पीसीओडी क्या होता है (pcod kya hota hai) और इसका मतलब क्या है (pcod ka matlab kya hota hai)।
अर्वा की सलाह: अगर आपको पीसीओडी के कोई लक्षण नजर आएं, तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें। जल्दी पता चलने पर इसका इलाज आसान होता है। अर्वा के फर्टिलिटी हेल्थ टेस्ट से आप अपनी प्रजनन क्षमता का आकलन कर सकती हैं।
पीसीओडी के लक्षण (PCOD Symptoms in Hindi)
पीसीओडी के लक्षण (pcod ke lakshan kya hai) अलग-अलग महिलाओं में अलग-अलग हो सकते हैं। कुछ आम लक्षण ये हैं:
मासिक धर्म का अनियमित होना या कई महीनों तक न आना
चेहरे और शरीर पर अनचाहे बाल उगना (हिरसुटिज्म)
मुंहासे होना
वजन तेजी से बढ़ना
सिर के बाल पतले होना या झड़ना
गर्भधारण में दिक्कत होना
त्वचा के नीचे काले धब्बे (एकेंथोसिस निग्रिकन्स)
थकान और मूड स्विंग्स
अर्वा की सलाह: पीसीओडी के लक्षणों को नजरअंदाज न करें। अगर आपको ये लक्षण दिखें, तो जल्द से जल्द डॉक्टर के पास जाएं। सही समय पर इलाज शुरू करने से परेशानी कम होती है।
पीसीओडी के कारण (PCOD Causes in Hindi)
डॉक्टरों को अभी तक पीसीओडी के पक्के कारण नहीं पता हैं। फिर भी कुछ चीजें इसके लिए जिम्मेदार हो सकती हैं:
इंसुलिन रेसिस्टेंस: जब शरीर इंसुलिन हार्मोन के प्रति संवेदनशीलता खो देता है
हार्मोन का असंतुलन: जब अंडाशय ज्यादा मात्रा में एंड्रोजन हार्मोन बनाने लगते हैं
सूजन या इंफ्लेमेशन: पीसीओडी वाली महिलाओं में अक्सर शरीर में सूजन बढ़ी होती है
परिवार का इतिहास: अगर घर में किसी को पीसीओडी है, तो आपको भी होने का खतरा ज्यादा रहता है
जीन म्यूटेशन: कुछ जीन्स में बदलाव भी पीसीओडी का कारण हो सकता है
अर्वा की सलाह: अपनी जीवनशैली में बदलाव लाकर पीसीओडी के खतरे को कम किया जा सकता है। संतुलित खानपान और एक्सरसाइज इंसुलिन रेसिस्टेंस और सूजन को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
पीसीओडी का इलाज (PCOD Treatment in Hindi)
पीसीओडी का इलाज मरीज के लक्षणों और कारणों पर निर्भर करता है। इसके कुछ उपाय हैं:
लाइफस्टाइल में बदलाव: हेल्दी खानपान, रोजाना एक्सरसाइज और वजन कम करना
दवाइयां: पीरियड्स को रेगुलर करने और हार्मोन्स को संतुलित करने वाली गोलियां जैसे ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव्स
मेटफॉर्मिन: इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ाने वाली दवा
सर्जरी: कुछ गंभीर केसेज में डॉक्टर लैप्रोस्कोपी सर्जरी का सुझाव दे सकते हैं
पीसीओडी का इलाज हिंदी में (pcod kya hota hai in hindi) समझना जरूरी है ताकि आप अपनी स्थिति को बेहतर तरीके से मैनेज कर सकें।
अर्वा की सलाह: अपनी बॉडी और जरूरतों को समझें। डॉक्टर की सलाह से अपने लिए सही इलाज का तरीका चुनें। साथ ही हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाना न भूलें। अर्वा के फर्टिलिटी हेल्थ कंसल्टेशन से आप एक्सपर्ट डॉक्टर से अपने विकल्पों के बारे में जान सकती हैं।
पीसीओडी में डाइट (PCOD Food)
पीसीओडी में सही खानपान बहुत मायने रखता है। कुछ डाइट टिप्स आपकी मदद कर सकते हैं:
लो GI फूड्स खाएं जैसे साबुत अनाज, फल और सब्जियां
प्रोटीन रिच चीजें लें जैसे दाल, सोया, अंडा और फिश
प्रोसेस्ड फूड, मैदा और चीनी वाली चीजों से परहेज करें
विटामिन डी, कैल्शियम और मैग्नीशियम युक्त आहार लें
ओमेगा 3 फैटी एसिड वाले खाद्य पदार्थ जैसे अखरोट, बीज और मछली का सेवन करें
कैफीन और अल्कोहल का सेवन सीमित करें
अर्वा की सलाह: खानपान में वैराइटी होनी चाहिए। जंक और तला-भुना खाना छोड़ें। छोटे-छोटे और बार-बार खाने से भूख और शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है।
पीसीओडी और इनफर्टिलिटी (PCOD & Infertility)
पीसीओडी की वजह से कई महिलाओं को गर्भधारण में दिक्कत आती है। ये ओव्युलेशन यानी अंडे छूटने की प्रक्रिया को प्रभावित करता है। हालांकि, सही देखभाल और इलाज से पीसीओडी वाली महिलाएं भी मां बन सकती हैं। कुछ उपाय हैं:
वजन कम करना
ओव्युलेशन इंड्यूसिंग दवाइयां जैसे क्लोमिफीन
इंसुलिन सेंसिटाइजर दवाइयां
IVF या ICSI जैसे असिस्टेड रिप्रोडक्टिव तकनीक
तो क्या पीसीओडी में प्रेग्नेंट हो सकते हैं (kya pcod me pregnant ho sakte hai)? जवाब है हां, लेकिन इसके लिए सही देखभाल और इलाज जरूरी है।
अर्वा की सलाह: अगर आप प्रेग्नेंसी प्लान कर रही हैं और पीसीओडी से परेशान हैं, तो फर्टिलिटी एक्सपर्ट से मिलें। वो आपकी कंडीशन को समझकर सही गाइड कर सकते हैं।
सारांश
पीसीओडी एक कॉमन हेल्थ प्रॉब्लम है, लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है। इसके बारे में जागरूकता, सही जानकारी और इलाज से इस पर काबू पाया जा सकता है। एक हेल्दी लाइफस्टाइल और डॉक्टर के सुझावों का पालन करके पीसीओडी को मैनेज किया जा सकता है। नियमित चेकअप और स्क्रीनिंग टेस्ट भी जरूरी हैं।
अर्वा की सलाह: अपनी सेहत को प्राथमिकता दें। पीसीओडी को हल्के में न लें। समय पर जांच, इलाज और सेल्फ-केयर से इस पर विजय पाई जा सकती है। खुद पर और अपने आप पर भरोसा रखें। अर्वा के फर्टिलिटी हेल्थ टेस्ट और कंसल्टेशन से आप अपनी प्रजनन क्षमता को बेहतर समझ सकती हैं।
Sources
FAQs
1. क्या पीसीओडी वाली महिला प्रेग्नेंट हो सकती है?
हां, पीसीओडी वाली महिलाएं भी प्रेग्नेंट हो सकती हैं। इसके लिए सही इलाज और देखभाल जरूरी है। फर्टिलिटी एक्सपर्ट इसमें मदद कर सकते हैं।
2. पीसीओडी का फुल फॉर्म क्या है?
पीसीओडी का फुल फॉर्म पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर है। ये एक ऐसी कंडीशन है जिसमें अंडाशय में कई छोटी-छोटी सिस्ट या गांठें बन जाती हैं।
3. पीसीओडी के प्रमुख लक्षण क्या हैं?
पीरियड्स का अनियमित होना या न आना, चेहरे-शरीर पर अनचाहे बाल, मुंहासे, वजन बढ़ना और बांझपन पीसीओडी के मुख्य लक्षण हैं।
4. पीसीओडी के क्या कारण हो सकते हैं?
इंसुलिन रेसिस्टेंस, हार्मोन्स का असंतुलन, शरीर में सूजन और फैमिली हिस्ट्री पीसीओडी के संभावित कारण हो सकते हैं।
5. पीसीओडी का इलाज कैसे होता है?
पीसीओडी का इलाज लाइफस्टाइल बदलाव, दवाइयों और कभी-कभार सर्जरी से किया जाता है। हेल्दी डाइट और एक्सरसाइज भी काफी मददगार साबित होते हैं।
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